Places Of Worship Act: हाल ही में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को लेकर एक बार फिर चर्चा तेज हो गई है। इस कानून को निरस्त किए जाने की मांग उठने लगी है। आइए यहां पर जानते हैं क्या है यह कानून और क्या कहती हैं इस एक्ट की धाराएं?
Places Of Worship Act : इस समय देश में 'प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट' यानी पूजा स्थल कानून सबसे चर्चित मुद्दों में से एक है। लेकिन प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट क्या है? इसके प्रावधान क्या कहते हैं? आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं। क्या कहता है प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 ? 1991 में लागू किया गया यह प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट कहता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता। यदि कोई इस एक्ट का उल्लंघन करने का प्रयास करता है तो उसे...
सुनिश्चित करती है कि एक धर्म के पूजा स्थल को दूसरे धर्म के रूप में ना बदला जाए या फिर एक ही धर्म के अलग खंड में भी ना बदला जाए।प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट की धारा- 4 इस कानून की धारा 4 कहती है कि 15 अगस्त 1947 को एक पूजा स्थल का चरित्र जैसा था उसे वैसा ही बरकरार रखा जाएगा। प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट की धारा- 4 धारा- 4 के अनुसार यह उन मुकदमों और कानूनी कार्यवाहियों को रोकने की बात करता है जो प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट के लागू होने की तारीख पर पेंडिंग थे। प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट की धारा- 5 में प्रावधान है कि यह एक्ट...
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