Supreme Court: प्रमाणिक मृत्यु पूर्व बयान दोषसिद्धि का एकमात्र आधार हो सकता है, सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

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Supreme Court: प्रमाणिक मृत्यु पूर्व बयान दोषसिद्धि का एकमात्र आधार हो सकता है, सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
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कोर्ट ने कहा कि अदालत को बेहद सावधानी से मृत्यु पूर्व कथन की जांच करनी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि यह विश्वसनीय, सुसंगत और बगैर किसी पूर्व धारणा के दिया गया हो।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मृत्यु पूर्व दिया गया बयान और अगर उस पर अदालत को विश्वास है तो वह बिना किसी पुष्टि के अभियुक्त की दोषसिद्धि का एकमात्र आधार हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई को एक याचिका पर सुनवाई के दौरान ये बात कही। इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने महाराष्ट्र के बीड में 22 साल पुराने मामले में पूर्व सैन्य कर्मी को पत्नी की हत्या के मामले में दोषसिद्धि को बरकरार रखा। बिना किसी पूर्व धारणा के दिया गया हो बयान कोर्ट ने कहा एक बार मृत्यु पूर्व कथन प्रमाणिक पाया जाता है और कोर्ट को भी उस...

सकता है। निर्दयी तरीके से की गई थी महिला की हत्या अभियोजन पक्ष के वकील ने कोर्ट को बताया कि पीड़िता के साथ उसके पति, देवर और अन्य परिजनों ने निर्दयता की थी। घटना वाले दिन महिला को उसके पति और देवर द्वारा पीटा गया और फिर उसके हाथ गमछे, पैर तौलिये से बांधकर और मुंह में कपड़ा ठूंसकर उस पर केरोसिन डालकर जला दिया गया। घटना में महिला पूरी तरह से जल गई थी। पड़ोसियों ने महिला को अस्पताल पहुंचाया था, जहां महिला ने मरने से पहले अपना बयान दर्ज कराया था, जिसके आधार पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 307, 498ए,...

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