2004 Indian Ocean Tsunami: नमिता रॉय और उनका परिवार शायद ही कभी 2004 में भूकंप के बाद आई सुनामी की खौफनाक यादों को भूल पाएगा.
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उन्होंने बताया, ‘‘मैं उस खौफनाक दिन को याद नहीं करना चाहती. मैं गर्भवती थी और रोजाना के घरेलू कामकाज में लगी थी. अचानक, मैंने भयानक सन्नाटा महसूस किया और समुद्र की लहरों को तट से मीलों दूर जाता देख मैं हैरान रह गई. पक्षियों में अजीब सी बेचैनी थी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘कुछ सेकंड बाद, एक डरावनी सरसराहट की आवाज आई और हमने देखा कि समुद्र की ऊंची लहरें हट बे द्वीप की ओर बढ़ रही थीं और उसके बाद भूकंप के तेज झटके भी महसूस किए गए. मैंने लोगों को चिल्लाते हुए एक पहाड़ी की ओर भागते देखा.
रॉय ने कहा, ‘‘रात 11 बजकर 49 मिनट पर मुझे प्रसव पीड़ा हुई, लेकिन वहां कोई चिकित्सक नहीं था. मैं वहीं एक बड़े पत्थर पर लेट गई और मदद के लिए चिल्लाने लगी. मेरे पति ने पूरी कोशिश की, लेकिन उन्हें कोई चिकित्सीय मदद नहीं मिल पाई. फिर उन्होंने जंगल में शरण ले रही कुछ अन्य महिलाओं से मदद मांगी. उनकी सहायता से, मैंने बेहद चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में ‘सुनामी’ को जन्म दिया... जंगल में हर तरफ सांप थे.’’
रॉय का बड़ा बेटा सौरभ एक निजी कंपनी में काम करता है, जबकि सुनामी अंडमान-निकोबार प्रशासन में सेवा देने के लिए समुद्र विज्ञानी बनना चाहता है.
2004 Indian Ocean Tsunami 26 December 2004 December 26 2004 Namita Roy सुनामी 26 दिसंबर 2004
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