उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के प्रावधानों के तहत लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होगा, उनके माता-पिता को दी जाएगी सूचना
प्रतीकात्मक तस्वीर. नई दिल्ली: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता या यूनीफाइड सिविल कोड को इस साल के अंत तक लागू किया जा सकता है. इसके साथ ही लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी शुरू किया जा सकता है. यह पहली बार है जब कोई सरकार इस तरह के ऑनलाइन रजिट्रेशन की सुविधा शुरू करने जा रही है.
Advertisement यूसीसी के तहत इस तरह के जोड़ों की जांच और उनके रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था है. लोकसभा चुनाव के वर्ष में यह युवाओं के बीच चर्चा का एक ज्वलंत मुद्दा है. उत्तराखंड के पूर्व चीफ सेक्रेटरी शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में बनाई गई नौ सदस्यीय कमेटी इसके लिए आवश्यक नियमावली तैयार कर रही है. यह ड्राफ्ट जून के अंत तक सामने आ जाएगा. अधिकारियों के मुताबिक, इस एक्ट में शामिल प्रावधानों को इस साल के अंत तक लागू करने की योजना है. पूर्व चीफ सेक्रेटरी शत्रुघ्न सिंह ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि, हम लोगों की सुविधा के लिए सभी औपचारिकताएं ऑनलाइन उपलब्ध कराना चाहते हैं. चूंकि यह जटिल प्रक्रिया है इसलिए सरकारी कर्मचारियों को इसके लिए प्रशिक्षण देने की जरूरत होगी.
Advertisement उन्होंने कहा कि, यह प्रशिक्षण सरकारी कर्मचारियों, खास तौर पर सब रजिस्ट्रार आफिस में करने वाले कर्मचारियों के लिए होगा. यह प्रशिक्षण ग्रामीण स्तर तक ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन मोड में होगा.सिंह ने कहा कि, ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा का फायदा जोड़ों और कर्मचारियों, दोनों को मिलेगा. इससे जोड़ों को बार-बार रजिस्ट्रार आफिस के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. उन्होंने कहा कि भले ही अतिरिक्त समय लगे लेकिन यह योजना व्यापक और सटीक होगी.
Advertisement उन्होंने कहा कि, हम न तो लिव-इन रिलेशनशिप के खिलाफ हैं, न ही इस पर कोई प्रतिबंध लगाना चाहते हैं. 18 से 21 साल के जोड़ों को रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है, उनके माता-पिता को इस बारे में सूचित किया जाएगा.समान नागरिक संहिता के तहत लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन कराने का सख्त नियम है. जोड़ों को रिलेशनशिप में आने के एक माह के अंदर रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा. यदि रजिस्ट्रेशन नहीं कराया जाता है तो उन्हें तीन माह की जेल या फिर 10 हजार रुपये का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है.
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