WorldAIDSDay : धीरे-धीरे इंसान की जिंदगी के दिन कम करता है एड्स
एड्स एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे इंसान को अंदर से खोखला कर देती है, इसलिए ऐसे मरीजों को दुत्कारें नहीं बल्कि प्यार दें। एचआइवी यानि ह्यूमन इम्यूनो डिफिसिएंसी वायरस से संक्रमण के बाद की स्थिति एड्स है। एचआइवी संक्रमण को एड्स की स्थिति तक पहुंचने में आठ से दस साल या कभी-कभी इससे भी अधिक वक्त लग सकता है।
इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति का उपहास उड़ाने की कोशिश भी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह असुरक्षित यौन संबंधों के अलावा संक्रमित सुई, खून और अजन्मे बच्चे को उसके मां से भी हो सकता है। आज विश्व ए़ड्स दिवस है। हर साल विश्व भर में इसे मनाया जाता है। इस दौरान तरह-तरह की गतिविधियों और अन्य माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाता है जिससे वो इस बीमारी की चपेट में न आएं। एचआइवी-एड्स ऐसी बीमारी नहीं है जो छूने, साथ खाने जैसे सहज मानवीय भावनाओं से फैल जाए। छूने और साथ खाने से प्यार फैलता है एड्स नहीं। कुछ समय...
एक अनुमान के मुताबिक, 1981 से 2007 में बीच करीब 25 लाख लोगों की मौत एचआइवी संक्रमण की वजह से हुई। 2016 में एड्स से करीब 10 लाख लोगों की मौत हुई। यह आंकड़ा 2005 में हुई मौत के से लगभग आधा है। साल 2016 में एचआइवी ग्रस्त 3.67 करोड़ लोगों में से 1.95 करोड़ इसका उपचार ले रहे हैं। इस बीमारी की भयावहता का अंदाजा इन मौतों से लगाया जा सकता है। एड्स के बारे में लोग 1980 से पहले जानते तक नहीं थे। भारत में पहला मामला 1996 में दर्ज किया गया था लेकिन सिर्फ दो दशकों में इसके मरीजों की संख्या 2.
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