पिता के निधन के बाद जीवन में आईं मुश्किलें, एआर रहमान को सूफी इस्लाम की ओर अग्रसर कर गईं.
नई दिल्ली: लोगों की जिंदगी में कुछ घटनाएं उन्हें हमेशा के लिए बदल देती हैं. एक आर्टिस्ट ने पिता के निधन के बाद अपनी जिंदगी में ऐसा ही बदलाव महसूस किया था. बुरे हालातों ने उन्हें वक्त से पहले ही मजबूत बना दिया. सिंगर का जन्म हिंदू परिवार में 6 जनवरी 1967 को हुआ था. पिता के देहांत के बाद उनका परिवार बिखर गया था. परिवार के आर्थिक हालात इतने खराब हो गए थे कि बालक अपना जीवन समाप्त करने के बारे में सोचने लगा था.
वे मुश्किल वक्त में एक सूफी संत के संपर्क में आए, जिसने उनके परिवार को सूफी इस्लाम से परिचय कराया. परिवार के साथ-साथ उनकी जिंदगी भी बदल गई. एआर रहमान का शुरू में नाम दिलीप कुमार था. उन्होंने बीबीसी को दिए इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें एक दूसरे आध्यात्मिक राह से शांति मिली थी. एक सूफी संत थे जो एआर रहमान के पिता के आखिरी दिनों में उनका उपचार कर रहे थे. वे जब 7-8 साल बाद सूफी संत से मिले थे, तो उन्होंने दूसरा धर्म अपनाने के बारे में सोचा था. एआर रहमान ने ‘पीटीआई’ से बातचीत में अपनी जिंदगी के मुश्किल दौर के बारे में बात की थी. पिता के निधन के बाद जब संगीतकार खुद को खत्म करने के बारे में सोच रहे थे, तब उनकी मां करीमा बेगम सूफी इस्लाम के प्रभाव में आई थीं और इस्लाम कुबूल करने का निर्णय किया था. एआर रहमान भी तब एक मशहूर पीर बाबा कादरी साहेब के अनुयायी बन गए थे. वे उनकी शिक्षाओं और मूल्यों से प्रभावित थे. इसलिए, उन्हें भी इस्लाम कुबूल करना सही लगा था. बॉलीवुडशादी.कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, मां-बेटे फिर अपना नया नाम रखने के लिए एक ज्योतिष से मिले. एआर रहमान ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया था कि पिता की मौत के सदमे ने उन्हें एक निडर इंसान बना दिया था. वे बोले, ’25 साल की उम्र तक मैंने खुद को खत्म करने के बारे में सोचा, क्योंकि मैंने पिता को खो दिया था. एक खालीपन था. बहुत सी चीजें हो रही थीं, मगर इस चीज ने मुझे निडर बना दिया. हर किसी की मौत तय है, फिर किसी चीज से घबराने की जरूरत क्या है?’ एआर रहमान ने बताया कि उन्हें किसी ने धर्म बदलने के लिए नहीं कहा था. यह उनका निजी निर्णय थ
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