Vegetable farming: लौकी, करेला समेत कई सब्जियों की डिमांड बाजारों में हमेशा बनी रहती है. इन सब्जियों की खेती किसानों के लिये काफी फायदेमंद साबित हो रही है. क्योंकि इन सब्जियों के उत्पादन में कम लागत और कम समय लगता है और मुनाफा भी अच्छा मिलता है. वहीं, देशी करेला और लौकी के मुकाबले हाइब्रिड किस्मों की पैदावार अधिक होती है.
जहां देसी सब्जियों के मुकाबले इन सब्जियों की लंबाई और मोटाई काफी अधिक होती है, जिससे किसान अब हाइब्रिड लौकी और करेले की खेती कर अच्छी कमाई कर रहे हैं.यूपी में बाराबंकी जनपद के किसान करेला और लौकी की खेती अधिक कर रहे हैं. उन्हें लागत के हिसाब से अच्छा मुनाफा हो रहा है, जिसके लिए वह कई सालों से करेला और लौकी की खेती करके लाखों रुपए मुनाफा कमा रहे हैं.
फिर उन्होंने लौकी और करेला के खेती की शुरुआत की, जिसमें किसान को अच्छा मुनाफा हो रहा है. किसान आज करीब एक एकड़ में करेला और लौकी की खेती कर रहे हैं, जिसमें लागत करीब एक बीघे में 10 से 12 हजार रुपये आती है. क्योंकि इसमें बीज कीटनाशक दवाइयां बांस डोरी लेबर आदि का खर्च थोड़ा ज्यादा आ जाता है. वहीं, मुनाफा करीब एक फसल पर एक से डेढ़ लाख रुपए तक हो जाता है. क्योंकि करेला लौकी की साल के 12 महीने मांग बनी रहती है, जिससे हम लोगों की आमदनी भी अच्छी होती है.
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