आज का शब्द: वेग और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता- गाता हूँ गीत मैं तुम्हें ही सुनाने को

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आज का शब्द: वेग और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता- गाता हूँ गीत मैं तुम्हें ही सुनाने को
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आज का शब्द: वेग और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता- गाता हूँ गीत मैं तुम्हें ही सुनाने को

' हिंदी हैं हम ' शब्द शृंखला में आज का शब्द है- वेग , जिसका अर्थ है- प्रवाह, बहाव। प्रस्तुत है सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता- गाता हूँ गीत मैं तुम्हें ही सुनाने को गाता हूँ गीत मैं तुम्हें ही सुनाने को; भले और बुरे की, लोकनिन्दा यश-कथा की नहीं परवाह मुझे; दास तुम दोनों का सशक्तिक चरणों में प्रणाम हैं तुम्हारे देव! पीछे खड़े रहते हो, इसी लिये हास्य-मुख देखता हूँ बार बार मुड़ मुड़ कर। बार बार गाता मैं भय नहीं खाता कभी, जन्म और मृत्यु मेरे पैरों पर लोटते हैं। दया के सागर हो तुम;...

भानु, शशधर और तारादल,-- विश्व-व्योममण्डल-चंदातल-पाताल भी, ब्रह्माण्ड गोपद-समान जान पडता है। दूर जाता है जब मन वाह्यभूमि के, होता है शान्त धातु, निश्चल होता है सत्य; तन्त्रियाँ हृदय की तब ढीली पड़ जाती हैं, खुल जाते बन्धन समूह, जाते माया-मोह, गूँजता तुम्हारा अनाहत-नाद जो वहाँ, सुनता है दास यह भक्तिपूर्वक नतमस्तक, तत्पर सदाही वह पूर्ण करने को जो कुछ भी हो तुम्हारा कार्य। "मैं ही तब विद्यमान; प्रलय के समय में जब ज्ञान-ज्ञेय-ज्ञाता-लय होता है अगणन ब्रह्माण्ड ग्रास करके, यह ध्वस्त होता संसार...

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