केंद्र सरकार ने 'एक देश-एक चुनाव' की दिशा में संविधान संशोधन विधेयक जेपीसी को भेजा है। विपक्ष के विरोध के बावजूद, सरकार ने जेपीसी में भेजने पर हामी भर दी। बिल के अमल में आने में समय लगेगा। जेपीसी संविधान में परिवर्तन और नए प्रावधानों का गहन विश्लेषण करेगी।
केंद्र सरकार ने विपक्ष के विरोध के बावजूद ' एक देश-एक चुनाव ' की दिशा में संविधान का 129वां संशोधन विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश कानून संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया। विपक्ष ने इसे तानाशाही करार दिया और जेपीसी में भेजने की मांग की। केंद्र सरकार ने जेपीसी में भेजने पर हामी भर दी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिल के मंत्रिमंडल चर्चा में जेपीसी में भेजने की बात कही थी। दोनों विधेयक जेपीसी को भेजे जाएंगे। सवाल ये है कि संसद का मौजूदा सत्र 20 दिसंबर तक है।
ऐसे में संसद के इस सत्र में बिल पास नहीं होंगे। संयुक्त संसदीय समिति की मंजूरी मिलने के बाद अगर बिल संसद में बिना परिवर्तन पास हो गए तो यह कब तक अमल आएगा? जेपीसी में लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल होंगे। जेपीसी क्या करेगी? एक देश-एक चुनाव से संबंधित आठ पेज के इस बिल में जेपीसी को अच्छा खासा होमवर्क करना होगा। संविधान के तीन अनुच्छेदों में परिवर्तन करने और एक नया प्रावधान जोड़ने की पेशकश की गई है
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