बीजेपी ने दिल्ली की मुख्यमंत्री पद के लिए रेखा गुप्ता को चुना है. रेखा गुप्ता दिल्ली की राजनीति में पिछले 30 सालों से सक्रिय हैं. रेखा गुप्ता दिल्ली यूनिवर्सिटी के दौलत राम कॉलेज से बीकॉम कर रही थीं, तभी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत कर दी थी. 1992 में रेखा ने बीजेपी के छात्र विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जॉइन किया था. दिल्ली में विधानसभा चुनाव में रेखा गुप्ता ने शालीमार बाग सीट से आम आदमी पार्टी की बंदना कुमारी को 29,595 मतों से पराजित किया है.
बीजेपी के पक्ष में नतीजे आने के बाद से ही प्रवेश वर्मा को सीएम की कुर्सी का प्रबल दावेदार माना जा रहा था. रेखा गुप्ता और अरविंद केजरीवाल में दो समानताएं हैं. अरविंद केजरीवाल की तरह रेखा गुप्ता भी हरियाणा की हैं और बनिया जाति से ताल्लुक रखती हैं. अरविंद केजरीवाल, सुषमा स्वराज के बाद रेखा गुप्ता दिल्ली की तीसरी मुख्यमंत्री होंगी, जो हरियाणा से हैं. दिल्ली से पहले बीजेपी की 13 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में सरकार थी लेकिन कोई भी महिला मुख्यमंत्री नहीं थी.
राजस्थान में वसुंधरा राजे सिंधिया के बाद बीजेपी का यह बॉक्स ख़ाली था, जिसे अब रेखा गुप्ता ने भर दिया है.अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली की अपनी सीट प्रवेश वर्मा से कैसे हार गए, जानिए अहम कारणअरविंद केजरीवाल को दिल्ली के लोगों ने दिल से क्यों निकाला, बीजेपी कैसे पड़ी भारीदिल्ली में हार के बाद क्यों चर्चा में है पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार?दिल्ली में बीजेपी की वापसी: 27 साल के इंतज़ार में संघ का साथ और बड़े चेहरों का सफ़र अब तक भारत के कुल 28 राज्यों और आठ केंद्र शासित प्रदेशों में ममता बनर्जी एकमात्र महिला मुख्यमंत्री थीं. दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने के बाद रेखा गुप्ता अब दूसरी महिला मुख्यमंत्री होंगी.कहा जा रहा है कि महिलाओं को जाति और धर्म की पहचान से अलग राजनीतिक रूप से लामबंद किया जा सकता है. ऐसे में शायद बीजेपी इस आधी आबादी के बीच संदेश देना चाहती है कि उसकी प्राथमिकता में वे हैं. दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी और बीजेपी से लेकर कांग्रेस तक ने चुनावी वादों में महिलाओं को प्राथमिकता दी थी.ऐसे में रेखा गुप्ता को बीजेपी ने मुख्यमंत्री के लिए चुना तो यह उसकी इसी रणनीति के हिस्से के तौर पर देखा जा रहा है.कहा जाता है कि बीजेपी में बड़े नेता वही बनते हैं, जिनकी पृष्ठभूमि आरएसएस या अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की होती है. बीजेपी के शीर्ष नेताओं की पृष्ठभूमि देखने के बाद इस बात की पुष्टि भी होती है. वो चाहे अटल-आडवाणी की जोड़ी हो या नरेंद्र मोदी और अमित शाह की. या फिर अरुण जेटली हों या नितिन गडकरी.सुषमा स्वराज के बारे में कहा जाता है कि वह बीजेपी में शीर्ष या निर्णय लेने की क्षमता रखने वाली नेता बन सकती थीं लेकिन उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि न तो आरएसएस वाली थी और न ही एबीवीपी वाली. सुषमा स्वराज की शुरुआती राजनीतिक पृष्ठभूमि जनता पार्टी की थी. रेखा गुप्ता भले पहली बार विधायक बनी हैं लेकिन दिल्ली की राजनीति के लिए नई नहीं हैं. वह दिल्ली नगर निगम की पार्षद रही हैं.इस बार शालीमार बाग से रेखा गुप्ता ने आम आदमी पार्टी की बंदना कुमारी को 29,595 मतों से मात दी. दिल्ली में विधानसभा चुनाव इतने बड़े मार्जिन से जीतना एक बड़ी जीत है.इन 10 दिनों कई नामों की चर्चा हुई. सबसे ज़्यादा चर्चा में प्रवेश वर्मा थे. प्रवेश वर्मा ने नई दिल्ली सीट से दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल को हराया था.दिल्ली चुनाव में ऐसा क्या हुआ कि लगभग तीन दशक बाद बीजेपी जीत गईप्रवेश वर्मा ने 4089 मतों से अरविंद केजरीवाल को मात दी थी. प्रवेश वर्मा को कुल 30,088 वोट मिले और अरविंद केजरीवाल को 25,999 वोट मिले. तीसरे नंबर पर कांग्रेस के संदीप दीक्षित रहे, जिन्हें कुल 4,568 वोट मिले. इस जीत के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर वर्मा की दावेदारी मज़बूत हुई थी लेकिन रेखा गुप्ता भारी पड़ीं.प्रवेश वर्मा के पिता साहिब सिंह वर्मा 26 फ़रवरी 1996 से 12 अक्तूबर 1998 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे थे. बीजेपी कांग्रेस और बाक़ी क्षेत्रीय पार्टियों पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाती रही है. ऐसे में प्रवेश वर्मा को अगर दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाती तो पार्टी को विपक्ष की आलोचना का सामना करना पड़ सकता था. बीजेपी मुख्यमंत्रियों के बेटों को मुख्यमंत्री बनाने से परहेज करती रही है. हिमाचल प्रदेश में प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर को मुख्यमंत्री का अहम दावेदार माना जाता था लेकिन बीजेपी ने जयराम ठाकुर को चुना था. दिल्ली में मुख्यमंत्री के चुनाव से पहले ये कहा जा रहा था कि किसान आंदोलन के कारण बीजेपी से जाटों की नाराज़गी रही है और इसे पाटने के लिए प्रवेश वर्मा को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. लेकिन बीजेपी एक रणनीति यह भी रही है कि जिस राज्य में किसी ख़ास जाति का प्रभाव ज़्यादा है, उस जाति के बदले दूसरी जाति से सीएम बनाओ. जैसे हरियाणा में जाट राजनीतिक और समाजिक रूप से प्रभावी हैं लेकिन बीजेपी ने उस जाति का सीएम पिछले 11 सालों से नहीं बनाया. इसी तरह महाराष्ट्र में मराठों का प्रभाव ज़्यादा है लेकिन बीजेपी ने विदर्भ के ब्राह्मण देवेंद्र फडणवीस के बनाया. इसी तरह झारखंड में आदिवासी मुख्यमंत्री के बदले रघुबर दास को बनाया था. कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि प्रवेश वर्मा की छवि विवादित रही है, इसलिए भी बीजेपी ने उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी देने से परहेज किया. लेकिन रेखा गुप्ता के भी पुराने ट्वीट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जो राजनीतिक मर्यादा के बिल्कुल उलट हैं. जब रेखा गुप्ता ये सब ट्वीट करती थीं तो किसी बड़े राजनीतिक पद पर नहीं थीं, इसलिए लोगों का ध्यान नहीं जाता था लेकिन प्रवेश वर्मा लोकसभा सांसद थे और उनके साथ एक राजनीतिक विरासत भी जुड़ी थी, इसलिए उनकी कही बात मीडिया में सुर्खियां बनी थी.रेखा गुप्ता दिल्ली की राजनीति में पिछले 30 सालों से सक्रिय हैं. रेखा जब दिल्ली यूनिवर्सिटी के दौलत राम कॉलेज से बीकॉम कर रही थीं, तभी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत कर दी थी. 1992 में रेखा ने बीजेपी के छात्र विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जॉइन किया था. बुधवार को दिल्ली में बीजेपी के 48 विधायकों ने उन्हें सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुन लिया और आज यानी 20 फ़रवरी को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंग
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