दिल्ली में विधानसभा चुनाव बुधवार को होंगे. इस मुकाबले में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) के साथ ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस तीसरे कार्यकाल के लिए लड़ाई लड़ रही हैं.
नई दिल्ली. दिल्ली विधानसभा चुनाव बुधवार को होगा. इस दौरान, सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) चौथे कार्यकाल पर है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस दिल्ली में फिर से उभरने की उम्मीद लगाए हुए हैं. बुधवार को सुबह सात बजे से 1.56 करोड़ से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे. सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में 13,766 मतदान केंद्रों पर मतदान होगा, जिसमें 699 उम्मीदवारों की चुनावी किस्मत का फैसला होगा. यह मुकाबला राष्ट्रीय राजधानी के राजनीति क परिदृश्य को नया रूप दे सकता है.
अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में ‘आप’ अपनी कल्याणकारी योजनाओं के दम पर लगातार तीसरी बार सत्ता में आने की कोशिश कर रही है. दूसरी ओर, भाजपा 25 वर्षों से अधिक समय के बाद राजधानी में फिर से सरकार बनाने का प्रयास कर रही है. दिल्ली में 2013 तक 15 साल तक शासन करने वाली कांग्रेस पिछले दो विधानसभा चुनाव में एक भी सीट जीतने में विफल रहने के बाद वापसी की कोशिश कर रही है. मतदान बुधवार को सुबह सात बजे शुरू होगा और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शाम छह बजे तक वोट डाले जाएंगे. निर्वाचन आयोग ने शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करने के लिए अर्धसैनिक बलों की 220 कंपनियां, दिल्ली पुलिस के 35,626 जवान और 19,000 होमगार्ड तैनात किए हैं. लगभग तीन हजार मतदान केंद्रों को संवेदनशील के रूप में चिह्नित किया गया है और इनमें से कुछ स्थानों पर ड्रोन निगरानी समेत विशेष सुरक्षा व्यवस्था की गई है. दिल्ली पुलिस के अनुसार, संवेदनशील मतदान केंद्रों पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किए जाएंगे. उसने बताया कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए त्वरित प्रतिक्रिया दल (क्यूआरटी) भी तैनात रहेंगे. वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं तथा 733 मतदान केंद्र खास उनकी जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं. प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के प्रयास में निर्वाचन आयोग ने एक कतार प्रबंधन प्रणाली (क्यूएमएस) ऐप पेश किया है, जिससे मतदाता भीड़ के स्तर की जानकारी हासिल कर सकेंगे. इसके अलावा, ‘घर से मतदान’ सुविधा के तहत 7,553 पात्र मतदाताओं में से 6,980 मतदाता पहले ही अपने वोट डाल चुके हैं. सोमवार शाम छह बजे आधिकारिक रूप से समाप्त हुए चुनाव प्रचार में तीन मुख्य दावेदारों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली. ‘आप’ ने अपने शासन मॉडल पर ध्यान केंद्रित किया और अरविंद केजरीवाल तथा मुख्यमंत्री आतिशी ने पूरे शहर में रैलियां कीं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा जैसे दिग्गजों के नेतृत्व में भाजपा ने भ्रष्टाचार के आरोपों और कानून-व्यवस्था के मुद्दों को लेकर ‘आप’ पर निशाना साधा. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने भी जोरदार प्रचार किया और विभिन्न मुद्दों पर ‘आप’ और भाजपा दोनों पर हमला बोला. चुनाव प्रचार के दौरान ‘शीश महल’ विवाद, यमुना के पानी की गुणवत्ता, शासन, कानून-व्यवस्था, महिला कल्याण और मतदाता सूची से छेड़छाड़ के आरोप जैसे मुद्दों को जोरदार ढंग से उठाया गया. चुनाव पूर्व वादों में मुफ्त में सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने का मुद्दा भी हावी रहा. ‘आप’ ने छात्रों के लिए मुफ्त बस यात्रा, ऑटो और टैक्सी चालकों के लिए बीमा और मंदिर के पुजारियों तथा गुरुद्वारों के ग्रंथियों को 18,000 रुपये की वित्तीय सहायता देने का वादा किया है. दूसरी ओर, भाजपा ने गर्भवती महिलाओं के लिए 21,000 रुपए की वित्तीय सहायता और 500 रुपये में सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर देने का वादा किया है, जबकि कांग्रेस ने 8,500 रुपये का मासिक बेरोजगारी भत्ता देने की प्रतिबद्धता जताई है. आठ फरवरी को आने वाले चुनाव परिणामों से साफ होगा कि क्या ‘आप’ अपनी सरकार बरकरार रख पाती है, भाजपा अपनी हार का सिलसिला तोड़ पाती है या कांग्रेस कोई चौंकाने वाला नतीजा दे पाती है
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