दिल्ली में लगातार तीन बार सत्ता संभालने वाली आम आदमी पार्टी को इस बार के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. भ्रष्टाचार के आरोप, शराब की बिक्री और स्थानीय मुद्दों जैसे सड़क, पानी और कूड़ा प्रबंधन ने जनता को प्रभावित किया. AAP की 'आम आदमी' छवि को नुकसान पहुंचा और बीजेपी ने इस मुद्दे को चुनाव में सफलतापूर्वक भुनाया.
दिल्ली में लगातार तीन बार सत्ता संभालने वाली आम आदमी पार्टी को इस बार के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. अन्ना आंदोलन से निकली AAP चुनावी राजनीति में एंट्री के साथ ही 2013 में दिल्ली की सत्ता पर काबिज हो गई थी. इसके बाद 2015 में ऐतिहासिक 67 सीटें और 2020 में 62 सीटें जीतकर लगातार दिल्ली में ब्रांड केजरीवाल मजबूत होता गया. पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने खुद को कट्टर ईमानदार नेता के तौर पर प्रोजेक्ट किया और यह दांव कारगर भी रहा.
पार्टी का आरोप था कि जब दिल्ली की जनता कोरोना की जानलेवा लहर झेल रही थी तब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने सरकारी आवास में करोड़ों के पर्दे लगवा रहे थे. 'शीशमहल' के मुद्दे ने केजरीवाल की 'आम आदमी' वाली इमेज को नुकसान पहुंचाया और बीजेपी ने भी चुनाव के दौरान लगातार जनता के बीच इस मुद्दे को उठाया.
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