प्रयागराज महाकुंभ में नागा साधुओं का अंतिम संस्कार: भू-समाधि और जल समाधि की परंपरा

धर्म समाचार

प्रयागराज महाकुंभ में नागा साधुओं का अंतिम संस्कार: भू-समाधि और जल समाधि की परंपरा
नागा साधुमहाकुंभअंतिम संस्कार
  • 📰 AajTak
  • ⏱ Reading Time:
  • 148 sec. here
  • 10 min. at publisher
  • 📊 Quality Score:
  • News: 83%
  • Publisher: 63%

प्रयागराज के महाकुंभ 2025 में नागा साधुओं का अंतिम संस्कार को लेकर एक अनोखी परंपरा है. जानिए कैसे किया जाता है नागा साधुओं का अंतिम संस्कार.

प्रयागराज के महाकुंभ 2025 में आस्था का मेला लग चुका है और रोज करोड़ों की तादाद में श्रद्धालु आस्था के संगम में डुबकी लगा रहे हैं. सबसे पहले मंगलवार को अखाड़ों ने अमृत स्नान में हिस्सा लिया और इसके बाद साधु-संतों से लेकर आमजन संगम में पवित्र स्नान कर चुके हैं. महाकुंभ में नागा साधु ओं का भी जमावड़ा देखा गया है और पेशवाई से लेकर पवित्र स्नान में नागा साधु बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं. नागा साधु ओं के बारे में एक रहस्य यह भी है कि आखिर मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है.

जीवित रहते कर देते हैं पिंडदाननागा साधु जीवित रहते ही खुद अपना पिंडदान और अंतिम संस्कार कर चुके होते हैं, ऐसे में उनकी अंत्येष्टि को लेकर भी कई सवाल होते आए हैं. हिन्दू धर्म के मुताबिक जन्म से लेकर मृत्यु तक संस्कारों का पालन किया जाता है और इनमें अंतिम संस्कार भी प्रमुख है. आम लोगों की अंत्येष्टि दाह संस्कार कर की जाती है. लेकिन नागा साधु तो खुद ही अपना पिंड दान कर चुके होते हैं तो उनका अंतिम संस्कार कैसे होता है, चलिए आपको बताते हैं. जूना अखाड़ा के कोतवाल अखंडानंद महाराज बताते हैं कि मृत्यु के बाद नागा साधु की समाधि लगाई जाती है. वह चाहे जल समाधि हो या फिर भू-समाधि, उनका दाह संस्कार नहीं किया जाता. अखंडानंद महाराज ने बताया कि नागा की चिता को आग नहीं दी जाती और ऐसा करने पर बहुत दोष लगता है. इसकी वजह बताते हुए महाराज ने कहा कि नागा साधु पहले ही अपने जीवन को नष्ट कर चुका होता है और पिंडदान कर चुका होता है, तब जाकर ही वह नागा साधु बन पाता है. महाकुंभ में नागा साधुओं का समूह (फोटो: PTI)भू-समाधि और जल समाधि की परंपराअखंडानंद महाराज ने बताया कि आम व्यक्ति से अलग नागा साधु बनने के बाद अंतिम संस्कार में पिंडदान और दाह संस्कार की प्रक्रिया लागू नहीं होती. इसी वजह से नागा को अग्नि को समर्पित न करके, जल या फिर भू-समाधि दी जाती है. संन्यासी स्वामी हर प्रसाद ने बताया कि नागा साधु जीवित रहते ही अपना तन और मन परमात्मा को समर्पित कर चुका होता है. साथ ही पिंडदान कर चुके होते हैं, ऐसे में उनके शव को अग्नि नहीं दी जाती है.ये भी पढ़ें: कुंभ में कहां से आते हैं नागा साधु, कैसे बनते हैं और क्या है इनकी परंपरा, जानें पूरी कहानीपहले नागा साधुओं को जल समाधि देने का चलन था. लेकिन नदियों के प्रदूषण को कम करने के मकसद से अब जल समाधि की जगह नागाओं को सिद्ध योग मुद्रा में बैठाकर भू-समाधि दी जाती है. इसकी वजह है कि भू-समाधि पाकर नागा को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति पा जाते हैं. इस समाधि से पहले हिन्दू धर्म के अनुसार उनके शव को स्नान कराया जाता है और फिर मंत्रोच्चण के साथ भू-समाधि दे दी जाती है.मृत्यु के बाद नागा साधु के शव पर भगवा वस्त्र डाले जाते हैं और भस्म लगाया जाता है जो उनकी आध्यात्मिक साधना का प्रतीक है. उनके मुंह में गंगाजल और तुलसी की पत्तियां भी रखी जाती हैं. इसके बाद ही भू-समाधि दी जाती है, साथ ही उस समाधि स्थल पर एक सनातनी निशान बना दिया जाता है ताकि कोई उस जगह को गंदा न कर सके. नागा साधुओं को धर्म रक्षक भी माना गया है, यही वजह है कि एक योद्धा की तरह पूरे मान-सम्मान के साथ उनको अंतिम विदाई दी जाती है.Advertisementअंतिम इच्छा का भी होता है पालननागा साधुओं की भू-समाधि के दौरान एक गड्ढा खोदा जाता, मृत संत के पद के मुताबिक उस गड्ढे की गहराई और आकार तय होता है. इसके बाद मंत्रों के उच्चारण और पूजा-पाठ के साथ नागा को बैठाकर मिट्टी से ढक दिया जाता है. अगर नागा साधु जल समाधि की आखिरी इच्छा जाहिर करके जाता है तो उसे किसी पवित्र नदी में समर्पित भी किया जा सकता है. कई बार अखाड़े की परंपरा के अनुसार भी नागा साधु का अंतिम संस्कार किया जाता है.नागा परंपरा के अनुसार मान्यता है कि उनका शरीर पंच महाभूत पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से मिलकर बना है और मृत्यु के बाद इन ही तत्वों को शरीर समाहित किया जाना चाहिए. ऐसे में नागा साधुओं की मृत्यु के बाद उन्हें भू-समाधि या जल समाधि देने की परंपरा है

हमने इस समाचार को संक्षेप में प्रस्तुत किया है ताकि आप इसे तुरंत पढ़ सकें। यदि आप समाचार में रुचि रखते हैं, तो आप पूरा पाठ यहां पढ़ सकते हैं। और पढो:

AajTak /  🏆 5. in İN

नागा साधु महाकुंभ अंतिम संस्कार भू-समाधि जल समाधि प्रयागराज

इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें

Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।

नागा साधुओं का अनोखा अंतिम संस्कारनागा साधुओं का अनोखा अंतिम संस्कारमहाकुंभ 2025 के दौरान नागा साधुओं के अंतिम संस्कार की विशेषताओं को जानिए.
और पढो »

महाकुंभ में नागा साधुओं की रहस्यमयी दुनियामहाकुंभ में नागा साधुओं की रहस्यमयी दुनियाप्रयागराज में महाकुंभ मेले में नागा साधुओं की अनोखी तस्वीरें सामने आ रही हैं. नागा साधुओं की तपस्या और जीवनशैली के बारे में जानें.
और पढो »

प्रयागराज में द्वादश माधव परिक्रमा की पुनर्जागरणप्रयागराज में द्वादश माधव परिक्रमा की पुनर्जागरणप्रयागराज में महाकुंभ की तैयारियां अपने अंतिम चरण में हैं। इस पवित्र नगरी में द्वादश माधव परिक्रमा की परंपरा को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है।
और पढो »

महाकुंभ 2025: नागा साधुओं और महामंडलेश्वरों का भव्य काफिला प्रयागराज में प्रवेशमहाकुंभ 2025: नागा साधुओं और महामंडलेश्वरों का भव्य काफिला प्रयागराज में प्रवेशश्री पंचायती अखाड़ा महा निर्वाणी ने महाकुंभ क्षेत्र में भव्यता और वैभव के साथ प्रवेश किया. जुलूस में नागा संन्यासियों और 67 महा मंडलेश्वरों की उपस्थिति ने अखाड़े की यात्रा को दिव्यता प्रदान की. अखाड़ा नारी शक्ति को प्राथमिकता देने वाला पहला अखाड़ा है और इस बार की यात्रा में चार महिला महा मंडलेश्वर शामिल थीं.
और पढो »

महा कूंभ 2025: महानीर्वाणी अखाड़े का नगर प्रवेशमहा कूंभ 2025: महानीर्वाणी अखाड़े का नगर प्रवेशमहानिर्वाणी अखाड़े का नगर प्रवेश महाकुंभ 2025 का एक प्रमुख आकर्षण है, जिसमें हाथी, घोड़ों और हजारों नागा साधुओं की उपस्थिति ने धार्मिक और सांस्कृतिक उत्साह को चरम पर पहुंचा दिया है।
और पढो »

महाकुंभ मेला 2025: शाही स्नान की परंपरा और महत्वमहाकुंभ मेला 2025: शाही स्नान की परंपरा और महत्वमहाकुंभ मेला 2025 का महत्व और शाही स्नान की परंपरा के बारे में जानकारी
और पढो »



Render Time: 2025-02-13 17:19:41