दिल्ली में भाजपा ने लगातार तीन बार सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी को पराजित कर दिया है। भाजपा ने 48 सीटें जीती हैं, जबकि आम आदमी पार्टी केवल 22 सीटें जीत पाई है। कांग्रेस पार्टी दिल्ली में खाता नहीं खोल पाई है।
दिल्ली में क्या हुआ? लगातार तीन बार सरकार बना चुकी आम आदमी पार्टी यहां जीत का चौंका लगाने के इरादे से चुनावी मैदान में उतरी थी, लेकिन भाजपा ने चौंकाते हुए उसे सत्ता में आने से रोक दिया। दिल्ली की 70 सीटों पर 5 फरवरी को मतदान हुआ था। 14 में से 12 एग्जिट पोल में भाजपा की सरकार बनाने का अनुमान जताया गया था, जो सही साबित हुआ। भाजपा ने 48 सीटें जीतीं, जो पिछली बार उसकी जीती हुईं सीटों से 40 ज्यादा है। वहीं, आम आदमी पार्टी को 40 सीटों का नुकसान हुआ और वह 22 पर थम गई। जिस पार्टी के लिए नतीजे नहीं
बदले, वो है कांग्रेस। दिल्ली के लगातार तीसरे विधानसभा चुनाव में वह खाता नहीं खोल पाई। भाजपा की जीत के खास बिंदु क्या रहे? भाजपा ने मुखरता के साथ चुनाव लड़ा। शीशमहल, यमुना का पानी, शराब घोटाला और आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेताओं को जेल जैसे मुद्दों पर पार्टी ने आम आदमी पार्टी को जमकर घेरा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'आप' को 'आपदा' करार दिया। भाजपा ने मुफ्त की योजनाओं को भी अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया। यानी भाजपा ने आम आदमी पार्टी को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जब नतीजे सामने आए तो भाजपा को 45.56% वोट मिले, जो 2020 के 38% से ज्यादा है। दिल्ली में भाजपा की जीत से भारतीय राजनीति में एक नया मोड़ देखने को मिल सकता है।
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