मटर की फसल में रोगों से निपटना

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मटर की फसल में रोगों से निपटना
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मटर की खेती किसानों के लिए लाभदायक है, लेकिन फसल में तेजी से रोग फैल रहा है। पत्तियों और फलियों पर सफेद धब्बे का उद्भव फफूंद रोग का संकेत है। उक्त रोग में से बचाव के लिए सल्फर या कैराथेन का प्रयोग किया जा सकता है। कृषि वैज्ञानिकों का सुझाव है कि शुष्क मौसम में रोग फैलने की संभावना अधिक होती है। मटर की खेती में उकठा रोग और तना मक्खी रोग भी प्रमुख समस्याएँ हैं।

किसान भाइयों के लिए मटर की खेती काफी मुनाफे वाली होती है. सर्दियां शुरू होते ही मटर की मांग बढ़ जाती है. इस मौसम में किसान जहां एक ओर मटर की खेती कर अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मटर की फसल में तेजी से रोग भी लग रहा है. इससे किसान काफी परेशान हैं. मटर की फसल में तेजी से फफूंद रोग फैल रहा है. ये रोग हवा के जरिये खेत में एक पौधे से दूसरे पौधे में फैलता है. इस रोग से ग्रसित पौधों के पत्ती और फलियों पर सफेद रंग के धब्बे दिखाई देते हैं.

सुहेल खान कहते हैं कि शुष्क मौसम इस रोग को अधिक बढ़ाता है. इस रोग का संक्रमण रोकने के लिए आप सल्फर का प्रयोग भी कर सकते हैं मटर की खेती में उकठा रोग भी एक प्रमुख समस्या है, जो पौधों की जड़ों को संक्रमित करता है. इससे पौधे मुरझाकर सूखने लगते हैं. ये रोग मिट्टी में पाए जाने वाले फंगस के कारण होता है, जो पानी और पोषक तत्वों को अवशोषित करने की प्रक्रिया में बाधा डालता है. मटर की फसल में तना मक्खी रोग लगने से प्यूपा एवं लार्वा तनें को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे पौधा टूटकर सूख जाता है.

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मटर फसल रोग उपाय किसान

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