मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार के तरीके को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है।
उमेश चतुर्वेदी। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की चिता की आग ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि उनके अंतिम संस्कार को लेकर राजनीति शुरू कर दी गई। इस सियासी विवाद को चिंगारी मिली नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के इस बयान से कि देश के पहले सिख प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निगमबोध घाट पर अंतिम संस्कार कराकर केंद्र सरकार ने उनका अपमान किया है। भाजपा ने जवाबी हमला करते हुए कांग्रेस पर इस मसले को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया। कांग्रेस और भाजपा में राजनीति क युद्ध के बीच मनमोहन सिंह का परिवार चुप है। कांग्रेस की
ओर से मनमोहन सिंह का कथित तौर पर गरिमापूर्ण अंतिम संस्कार न होने का आरोप लगाने की एक वजह है। कांग्रेस के दामन पर 1984 के सिख विरोधी दंगों का दाग है। भाजपा सिख विरोधी दंगों को लेकर कांग्रेस को निरंतर कठघरे में खड़ा करती रही है। हैरानी नहीं कि मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार में कथित गरिमा की कमी का मुद्दा बनाकर कांग्रेस अपने पर लगे सिख विरोधी दंगों के दाग को धोने की कोशिश कर रही हो। वह यह मामला उठाकर पंजाब में सिख समुदाय में नए सिरे से पैठ बनाने की भी कोशिश कर रही है, जिसमें फिलहाल आम आदमी पार्टी का असर है। यह भी ध्यान रहे कि दिल्ली में विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं। दिल्ली की कुल आबादी में सिखों की हिस्सेदारी करीब चार प्रतिशत है। साफ है कि मनमोहन सिंह का गरिमामय अंतिम संस्कार न होने का आरोप लगाकर कांग्रेस पंजाब के साथ दिल्ली के सिख मतदाताओं में भी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है। यह कोशिश स्वाभाविक है, लेकिन सवाल यह भी है कि नरसिंह राव और विश्वनाथ प्रताप सिंह का निधन नई दिल्ली में होने के बावजूद कांग्रेस ने इन नेताओं का अंतिम संस्कार राजधानी की किसी प्रतिष्ठित जगह कराने की जरूरत नहीं समझी? तब तो दिल्ली और केंद्र में कांग्रेस की ही सरकारें थीं। विनय सीतापति की लिखी नरसिंह राव की जीवनी ‘हाफ लायन’ के पन्नों से गुजरेंगे तो पता चलेगा कि नरसिंह राव के निधन के अगले दिन फूलों से सजी सेना की गाड़ी उनके शव को लेकर कांग्रेस मुख्यालय पहुंची और करीब आधे घंटे तक मुख्यालय के गेट पर खड़ी रही, लेकिन गेट नहीं खुला। विनय सीतापति के मुताबिक, नरसिंह राव के स्वजनों ने उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में ही करने की मंशा जताई थी, लेकिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार और पार्टी नेतृत्व ने ऐसा करने से इन्कार कर दिया
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