डिजिटल अर्थव्यवस्था में नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए मोदी सरकार पर्सनल डिजिटल डेटा संरक्षण अधिनियम लाने जा रही है.
डिजिटलाइजेशन के इस दौर में डेटा की वैल्यू काफी बढ़ गई है. कई कंपनियां लोगों का डेटा इकट्ठा कर दूसरी कंपनियों को बेचती हैं. इस बीच कुछ कंपनियां चोरी-छिपे भी लोगों का पर्सनल डेटा चुरा कर बेच रही हैं. ऐसे डेटा चोर ों पर नकेल कसने की मोदी सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है. लोगों के पर्सनल डेटा को साइबर अपराधियों से बचाने के लिए मोदी सरकार ने एक मसौदा तैयार किया है. पर्सनल डिजिटल डेटा संरक्षण अधिनियम लागू होने जा रहा है.
बता दें कि डिजिटल अर्थव्यवस्था में नागरिकों को सशक्त बनाने की दिशा में यह कदम उठाया गया है. पर्सनल डेटा को सिक्योर करने के लिए तैयार किये गए मसौदे में लोगों के व्यक्तिगत डेटा का व्यवसायिक इस्तेमाल, डिजिटल नुकसान और व्यक्तिगत डेटा के दुरुपयोग दूर करने की योजना बनाई गई है. इस मसौदे में बच्चों के लिए सुरक्षित ऑनलाइन स्पेस बनाने के लिए नियम हैं. इसमें छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप के लिए कम औपचारिकताएं होंगी. शिकायत निवारण और डेटा संरक्षण बोर्ड बनाया जाएगा. डिजिटल बोर्ड एक कार्यालय के तौर पर काम करेगा. इसमें एक डिजिटल प्लेटफार्म और ऐप होगा, जिसके चलते लोग डिजिटल संपर्क में रहेंगे और शिकायत कर सकेंगे. डिजिटल बोर्ड समयबद्ध तरीके से शिकायतों का निपटारा, सजा का न्यायिक ढांचा प्रदान करेगा. डेटा जिस ट्रस्टी के पास होगा, वो सालाना सुरक्षा उपाय, आकलन और ऑडिट सुनिश्चित करेंगे. इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने क़ानून बनाने के लिए 18 फ़रवरी तक अपना सुझाव दे सकते हैं. इस क़ानून के लिए सरकार जागरूकता अभियान भी चलाने की योजना बना रही है.इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने डिजिटल पर्सनल डेटा सुरक्षा एक्ट के लिए ड्राफ्ट नियम जारी किए हैं, जिसके अनुसार डेटा फिड्युसरी (एक ऐसी संस्था या व्यक्ति, जो पर्सनल डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता की जिम्मेदारी लेता है) के लिए बच्चे के किसी भी पर्सनल डेटा को प्रोसेस करने से पहले माता-पिता सहमति लेना अनिवार्य होगा
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