जीएसटी की वर्तमान दर के कारण उद्योग और ग्राहकों पर बोझ बढ़ रहा है, इसलिए रत्न और आभूषण उद्योग ने सरकार से आगामी बजट में जीएसटी को 1 प्रतिशत करने का आग्रह किया है।
रत्न और आभूषण क्षेत्र ने सरकार से आगामी बजट में उद्योग पर लागत का बोझ कम करने के लिए वस्तु और सेवा कर ( जीएसटी ) को घटाकर एक प्रतिशत करने का आग्रह किया है। अखिल भारतीय रत्न और आभूषण घरेलू परिषद (जीजेसी) के अध्यक्ष राजेश रोकड़े ने मंगलवार को एक बयान में कहा, 'हम करों को युक्तिसंगत बनाना चाहते हैं और कारोबार को समर्थन देने के लिए राजस्व की उपलब्धता चाहते हैं।' उन्होंने कहा कि सोने की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि के कारण जीएसटी की वर्तमान दर उद्योग और ग्राहकों के लिए बोझ बनती जा रही है। इसलिए,
जीजेसी आगामी बजट में जीएसटी को मौजूदा 3 प्रतिशत से घटाकर 1 प्रतिशत करने का आग्रह कर रही है, जिससे अनुपालन को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि कर में कटौती से उपभोक्ताओं, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों के उपभोक्ताओं, की सामर्थ्य बढ़ेगी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे औपचारिक अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ने से राजस्व संग्रह में सुधार होगा। उद्योग की शीर्ष संस्था ने कहा कि प्रयोगशाला में तैयार हीरों के लिए रियायती जीएसटी दर लागू करने की आवश्यकता है, ताकि प्राकृतिक हीरों की तुलना में उनके टिकाऊ और लागत प्रभावी गुणों को पूरी तरह से मान्यता मिल सके। वर्तमान में, प्राकृतिक और प्रयोगशाला में विकसित दोनों हीरों पर समान जीएसटी दर लागू होती है। जीजेसी ने सरकार से एक समर्पित मंत्रालय की मांग की और राज्यवार नोडल कार्यालय बनाने और विशेष रूप से आभूषण क्षेत्र के लिए एक केंद्रीय मंत्री की नियुक्ति का आग्रह किया। जीजेसी के उपाध्यक्ष अविनाश गुप्ता ने कहा, 'हम सरकार से आभूषणों पर ईएमआई पर विचार करने का अनुरोध करते हैं, जो उद्योग की लंबे समय से मांग रही है। स्वर्ण मौद्रीकरण योजना में भी सुधार की जरूरत है, क्योंकि इसमें अर्थव्यवस्था में निष्क्रिय घरेलू सोने को बाहर निकालने की क्षमता है और इसके जरिए हमें आत्मनिर्भर होने और कम आयात को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी
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