बीजेपी तो 'मिस्ड कॉल 'पर भी सदस्यता देकर 'देशसेवा' का अवसर दे देती है। उसने इन्हें भी अवसर दिया मगर इन्हें तो देशसेवा लोकसभा या राज्यसभा में जाकर ही करना आती थी मगर पार्टी इनसे उस तरह की सेवा करवाना नहीं चाहती थी।
सोशल मीडिया पर एक चित्र पिछले दिनों वायरल हो रहा था। एक बुजुर्ग पूर्व केंद्रीय मंत्री किसी गांव की किसी साधारण सी दुकान के बाहर कुर्सी लगाकर बैठे मोबाइल पर कुछ देख रहे थे। उनके पुराने ओहदे और महिमा से अनजान तीन गरीब औरतें और इतनी ही मर्द इस अजनबी को अजनबी निगाहों से देख रहे थे। ये निगाहें पूछती सी लग रही थीं कि आप कौन हैं महाशय, यहां क्यों बैठे हैं, क्या करने आए हैं! हाथ -पांव नहीं चलते हैं तो घर बैठकर आराम क्यों नहीं करते!.
एक और बूढ़ा कभी था। दिल्ली से बोरिया-बिस्तर समेट रहा था। इस -उसको कोर्निश बजा-बजाकर वह थक चुका था। उसकी पीठ जवाब दे चुकी थी। हवाई जहाज़ में लंबी-लंबी यात्राओं के कारण उसका पिछवाड़ा जवाब दे चुका था। पैंतीस साल तक मुफ्त का तर माल खाकर उसकी भूख मर चुकी थी। उसकी हालत पतली थी। शरीर को आराम की सख्त दरकार थी पर अचानक भाग्य का छींका टूटा और उसे उसकी कल्पना से बहुत ऊंचा पद मिल गया। फिर तो 70 साल के उस बूढ़े की सारी थकान, सारी बीमारियां छूमंतर हो गईं! बंद बिस्तर खुल गया। वह वही सब करने लगा,वही सब खाने...
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