यह लेख संगीतकार सी रामचंद्र के जीवन और कार्यों पर केंद्रित है। उनके सबसे प्रसिद्ध गीतों, उनके संगीत निर्देशन के करियर और उनके प्रसिद्ध सहयोगों का उल्लेख किया गया है।
ऐ मेरे वतन के लोगों वह गीत है, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने जब लता मंगेशकर की आवाज में सुना तो उनके आंसू छलक पड़े। आज भी इस गीत का जादू ऐसा है कि जब इसे कोई सुनता है, तो देशभक्ति और बलिदान की भावना से ओत-प्रोत होकर उसकी आंखें नम हो जाती हैं। यह सबको मालूम है कि इस गीत को लता मंगेशकर ने गाया है, लेकिन शायद ही बहुत कम लोगों को मालूम हो कि इस गीत को कंपोज किया है सी रामचंद्र ने। संगीतकार सी रामचंद्र ने ‘भोली सूरत दिल के खोटे’, ‘शोला जो भड़के’, ‘किस्मत की हवा कभी नरम-कभी
गरम’, ‘आना मेरी जान संडे के संडे’, ‘कदम कदम बढ़ाये जा’, ‘दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम’ जैसे सुपरहिट गानों को कंपोज किया है। यह गीत आज भी लोगों को सुकून पहुंचाते हैं। आज लगभग 50 वर्षों बाद भी इन गीतों का कोई विकल्प नहीं है। इन कालजयी गीतों की धुन सी रामचंद्र की पोटली से ही हुआ है। आइए आज उनकी पुण्यतिथि पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ बातों को जानते हैं। संगीत से पहले अभिनय में आजमाई किस्मत सी रामचंद्र का जन्म 12 जनवरी 1918 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के एक छोटे से कस्बे पुणतांबा में एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके बचपन का नाम रामचंद्र नरहर चितलकर था। संगीतकार ने ‘गंधर्व महाविद्यालय’ में विनायकबुआ पटवर्धन और नागपुर के शंकर राव सप्रे से संगीत के गुर सीखे। संगीत का जादू बिखेरने से पहले उन्होंने फिल्मों में भी किस्मत आजमाई। वह वाईवी राव की फिल्म ‘नागानंद’ में मुख्य भूमिका निभाकर फिल्म उद्योग में शामिल हुए। उन्होंने ‘सैद-ए-हवस’ (1936) और ‘आत्मा तरंग’ (1937) में कुछ छोटी भूमिकाएं भी निभाईं। हालांकि, उनकी सभी फिल्में फ्लॉप रही, जिसके बाद उनका अभिनेता बनने का सपना टूट गया और उन्होंने संगीत का दामन पकड़ लिया। कंपोजिशन में किए नए-नए प्रयोग फिल्मों से निराशा हाथ लगने के बाद संगीतकार ने जयाकोड़ी और वन मोहिनी के साथ तमिल फिल्मों में संगीत निर्देशक के रूप में शुरुआत की। सी रामचंद्र को भगवान दादा की फिल्म ‘सुखी जीवन’ (1942) से काफी पहचान मिली। एक अच्छे संगीतकार की उनकी छवि बन गई। भगवान दादा के साथ उन्होंने लंबे समय तक काम किया, जो संगीतमय बॉक्स ऑफिस हिट अलबेला (1951) के साथ खत्म हुआ। सी रामचंद्रन को वेस्टर्न धुनों में महारत हासिल थी। व
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