'किसी लड़की के पीछे-पीछे एक बार चलना 'पीछा करने' का अपराध नहीं', बॉम्बे हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी

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'किसी लड़की के पीछे-पीछे एक बार चलना 'पीछा करने' का अपराध नहीं', बॉम्बे हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी
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बॉंबे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने 19 वर्षीय दो युवकों को बरी करते हुए कहा कि किसी लड़की के पीछे-पीछे एक बार चलना यह मानने के लिए पर्याप्त नहीं होगा कि पीछा करने का अपराध किया गया। न्यायमूर्ति जीए सनप की पीठ ने कहा कि छेड़छाड़ के आरोप में एक युवक को दोषी ठहराना सही है लेकिन पीछा करने के आरोप में दूसरे युवक की दोषी ठहराना गलत...

पीटीआई, मुंबई। बॉंबे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने 19 वर्षीय दो युवकों को बरी करते हुए कहा कि किसी लड़की के पीछे-पीछे एक बार चलना यह मानने के लिए पर्याप्त नहीं होगा कि 'पीछा करने' का अपराध किया गया है। कोर्ट ने छेड़छाड़ के आरोप में उनमें से एक की सजा को बरकरार रखा। दोनों को अकोला की एक सत्र अदालत ने 2020 में 14 वर्षीय लड़की से छेड़छाड़ और उसका पीछा करने के लिए दोषी ठहराया था। उन्हें छेड़छाड़ के आरोप में पांच साल और पीछा करने के आरोप में तीन साल जेल की सजा सुनाई गई थी। कोर्ट ने क्या कहा?...

न्यायमूर्ति ने कहा कि यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पीछा करने के अपराध के लिए अभियोजन पक्ष को यह साबित करना होगा कि आरोपित ने सीधे, इलेक्ट्रॉनिक या इंटरनेट मीडिया के माध्यम से किसी का बार-बार या लगातार पीछा किया।उसे देखा या संपर्क किया। पीठ ने कहा कि पीछा करने के अपराध की इस अनिवार्य आवश्यकता को देखते हुए पीड़िता का पीछा करने का अकेला उदाहरण इस अपराध को साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। पीठ ने एक युवक की पांच साल की सजा को भी घटाकर उस अवधि तक कर दिया, जिसे वह 2022 में अपनी गिरफ्तारी के बाद से...

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