सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को देश में हो रहे बाल विवाह पर नाराजगी जताई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाल विवाह निषेध अधिनियम को पर्सनल लॉ से नहीं रोका जा सकता और बच्चों से जुड़ी शादियां अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने की स्वतंत्र इच्छा का उल्लंघन करती हैं। CJI ने कहा कि अधिकारियों को बाल विवाह रोकथाम और नाबालिगों की सुरक्षा पर ध्यान देना...
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को बाल विवाह निषेध अधिनियम को लेकर सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने देश में हो रहे बाल विवाह के मुद्दे पर कड़ी नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि बाल विवाह निषेध अधिनियम को पर्सनल लॉ से नहीं रोका जा सकता और बाल विवाह अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने की स्वतंत्र इच्छा का उल्लंघन करती हैं। CJI ने कहा कि सबको अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने का अधिकार है। SC ने जारी किए कई दिशानिर्देश मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी...
बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 बाल विवाह को रोकने और समाज से उनके उन्मूलन को सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया था। इस अधिनियम ने 1929 के बाल विवाह निरोधक अधिनियम की जगह ली। SC ने वैवाहिक दुष्कर्म मामले पर क्या कहा? बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 बाल विवाह को रोकने और समाज से उन्मूलन को सुनिश्चित करने के लिए लाया गया। इस अधिनियम ने 1929 के बाल विवाह निरोधक अधिनियम की जगह ली। इससे पहले गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह भारतीय दंड संहिता और भारतीय न्याय संहिता के उन दंडनीय प्रावधानों की संवैधानिक...
Child Marriage Act Supreme Court On Child Marriage Prohibition Of Child Marriage Act Chief Justice D Y Chandrachud
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