आज का शब्द: ईशान और ज्योति रीता की कविता- प्रेम में ठगी गई स्त्री

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आज का शब्द: ईशान और ज्योति रीता की कविता- प्रेम में ठगी गई स्त्री
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आज का शब्द: ईशान और ज्योति रीता की कविता- प्रेम में ठगी गई स्त्री

' हिंदी हैं हम ' शब्द शृंखला में आज का शब्द है ईशान , जिसका अर्थ है- ईशान , जिसका अर्थ है- स्वामी, अधिपति, प्रभु, शिव, महादेव, रुद्र। प्रस्तुत है ज्योति रीता की कविता- प्रेम में ठगी गई स्त्री प्रेम में ठगी गई स्त्री एकांतप्रिय हो जाती है मौन की भाषा ज़्यादा सहज लगती है बोलने से ज़्यादा चुप की भाषा में गहरे उतरती है हथेली पर लिए चलती है कोई चित्र अर्द्धरात्रि में खिड़की के समीप लंबी गहरी श्वास भरकर शून्य में घंटों निहारती है उसे दिखता है कोई पदचिह्न ईशान कोण में जला आती है एक दीया...

समाप्ति पर पहुँचने से पहले हथेली का स्पर्श हो वह जो देश की राजधानी में गुम है कहीं जो रात के तीसरे पहर में देता है पीठ पर चुंबन तुम्हारे छाती के ठौर से ज़्यादा माक़ूल कोई जगह नहीं जहाँ गाँठ दिया था अपना सारा अहम् काठ से तरलता का आवेग जीया जाता रहा उस पल जवा-कुसुम की गंध से भर गया था वह छोटा कमरा इस अस्वीकृत रिश्ते में तुम मजबूत पात्र हो याकि प्रलय की रात में बढ़ता हुआ कोई हाथ तुममें जो ठहराव है वह किसी तालाब के पानी को भी हासिल नहीं कितना कुछ बचा रह गया है तुम्हारे चले जाने के बाद भी चाय के कप...

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