आज का शब्द: अवगत और अनुज लुगुन की कविता- हम खड़े हैं निरंजना के तट पर

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आज का शब्द: अवगत और अनुज लुगुन की कविता- हम खड़े हैं निरंजना के तट पर
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आज का शब्द: अवगत और अनुज लुगुन की कविता- हम खड़े हैं निरंजना के तट पर

' हिंदी हैं हम ' शब्द शृंखला में आज का शब्द है- अवगत , जिसका अर्थ है- विदित, ज्ञात, जाना हुआ, मालूम। प्रस्तुत है अनुज लुगुन की कविता- हम खड़े हैं निरंजना के तट पर एक हम खड़े हैं निरंजना के तट पर हम सदी के उस मुहाने पर खड़े हैं जहाँ से हम देख रहे हैं महाबोधि के झड़ते हुए पत्तों को हम अंतर्विरोधों के साये में हैं एक तरफ़ निरंजना है तो दूसरी तरफ़ कलिंग एक में ही दोनों हैं दोनों तरफ़ समर्थन भी है और विरोध भी बुद्ध होते तो शायद कहते यह दुःख का कारण है सम्यक् नज़रिए का त्याग कभी फलदायी नहीं...

नहीं बना सकता हमारी बातों में भले ही न हो बुद्धत्व की बातें लेकिन हम जानते हैं उस रास्ते को उसकी सारी बातों से अवगत हम खड़े हैं निरंजना के तट पर साझेदारी के लिए हम खड़े हैं और हमारे खड़े होने में ही है हमारा सम्यक् अस्तित्व। दो हम बनेंगे निरंजना यह एक भिक्षुक के चीवर का रंग है जो हमारी आँखों में उतर रहा है यह दुःख से उपजा सत्य है जो हमारे हुनर में ढल रहा है यह निरंजना का तट है जो हमारी बातों में घुल रहा है हम खड़े हैं यहाँ हमारे खड़े होने में बुद्धत्व का विश्वास है अशोक होगा कहीं तो वह सिर यहीं...

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