ध्यान रहे यूक्रेन की पहल पर आयोजित इस शांति सम्मेलन में रूस को आमंत्रित नहीं किया गया था। रूस इसे व्यर्थ की कवायद करार भी दे चुका है। ऐसे में सम्मेलन के साझा बयान में कही गई बातें सांकेतिक महत्व की ही मानी जाएंगी। व्यवहार में इनका कोई मतलब तभी हो सकता है जब युद्ध में शामिल दोनों देश इसे स्वीकार करने पर सहमत...
स्विट्जरलैंड में हुआ अंतरराष्ट्रीय शांति सम्मेलन रूस-यूक्रेन युद्ध जल्द से जल्द समाप्त करने की इच्छा और जरूरत को रेखांकित करते हुए संपन्न हुआ। हालांकि सम्मेलन में शामिल भारत जैसे कई देशों के साझा बयान पर हस्ताक्षर न करने से यह स्पष्ट हो गया कि सम्मेलन की भावना चाहे जितनी भी नेक रही हो, शांति का लक्ष्य हासिल करने में अभी ढेरों व्यावहारिक दिक्कतें हैं।पॉजिटिव संकेतइस सम्मेलन में 90 से ज्यादा देशों का शामिल होना एक पॉजिटिव संकेत कहा जाएगा। इससे यह साफ होता है कि दुनिया का कितना बड़ा हिस्सा यूक्रेन...
संकेत किया है। यह सम्मेलन हो या शांति की दिशा में किया गया इस तरह का कोई भी दूसरा प्रयास, उसकी अहमियत से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसे तमाम प्रयासों के पीछे काम कर रहे अलग-अलग विचारों, मतों और दृष्टिकोणों को समझने की कोशिश भी निरंतर जारी रहनी चाहिए। किसी तरह का हल या शांति का कोई फॉर्म्युला इसी प्रक्रिया से निकलेगा। भारत ने स्पष्ट किया कि सम्मेलन में शामिल होने के पीछे उसकी यही सोच थी।संतुलित नजरियासम्मेलन में अपने रुख से भारत ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि वह अपने राष्ट्रीय हितों पर आधारित...
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